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धर्मशाला27 मिनट पहले
हिमाचल के धर्म नगरी मैक्लोडगंज के हालात कभी-कभी जोशीमठ जैसे हो सकते हैं। यहां नगर निगम की अधिसूचना को देखकर लोग अवैध निर्माण कर रहे हैं, जबकि जिम्मेदार अधिकारी मूक बने हुए हैं। मैकलोडगंज में अवैध निर्माण के कारण ज्यादातर इमारतें खंभे पर लटकी हुई हैं और एक दूसरे से चिपकी हुई हैं। मानकों ने चेतावनी दी है कि मैकलोडगंज क्षेत्र में स्थित इमारतों में उच्च तीव्रता वाले भूकंप का सामना नहीं कर सकते हैं और ताश के पत्ते के मिश्रण हो सकते हैं।
धर्मशाला क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील और तकनीकी रूप से भी सक्रिय है। धर्मशाला के इर्द-प्रोजेक्ट 3 थ्रस्ट हैं, एटम धर्मशाला के साउथ से लेकर सदर्न थ्रस्ट, धर्मशाला के नॉर्थ में नड्डी के पास क्रॉस हुआ एमबीटी थ्रस्ट और पंजाब थ्रस्ट। बहुत अधिक थ्रस्ट होने के कारण धर्मशाला की जमीन अंडर कंप्रेसिव स्ट्रेस में है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभाग के प्रमुख प्रो. अंबरीश कुमार महाजन ने बताया कि धर्मशाला क्षेत्र के ड्रेनेज सिस्टम की बात करें तो मैकलोडगंज से ऊपर ड्रेनेज या सीवेज सिस्टम का कोई समाधान नहीं है, जब तक यह समाधान नहीं होता है, तब तक समस्या और खतरा बना रहेगा।




मैकलोडगंज में इस तरह जीव के किनारे बने बने हैं।
मानदंड का कहना है कि बहुमंजिला इमारतों से भूमि पर बोझ बढ़ता जा रहा है और पर्वतमाला पर पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होना, सीवरेज प्रावधान नहीं होना भी इस तरह की आपदा का सबब बन सकता है। प्रो. अंबरीश कुमार महाजन का कहना है कि मैकलोडगंज में लगातार निर्माण हो रहा है और सही ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। सही ड्रेनेज सिस्टम न होने के कारण धर्मशाला-मैक्लॉडगंज लैंडस्लाइड जोन में हैं। ऐसे में अगर उचित कदम नहीं उठाए गए तो कभी भी आपदा आ सकती है।
ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से लैंडस्लाइड जोन
धर्मशाला के संदर्भ में बात करते हुए प्रो. महाजन ने बताया कि धर्मशाला में कोतवाली बाजार से ऊपर मैकलोडगंज, भागसूनाग कुछ ऐसी जगह हैं, जो लैंडस्लाइड जोन हैं। सही ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के कारण यहां ऐसी स्थिति पैदा हो गई है। अगर यहां ड्रेनेज सिस्टम सही होता है तो इस तरह की समस्या नहीं आती। जब भी बहुमंजिला निर्माण होता है तो इससे जमीन पर ज्यादा लोड पड़ता है, जिससे उसकी सोच की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला भूकंप की दृष्टि से भी संवेदनशील है।




धर्मशाला और मैक्लोडगंज में लोगों ने 2 से 3 मंजिला मकान बनाए हैं।
लैंडस्लाइड जोन में बहुमंजिला इमारतों का खतरा
संचार के संदर्भ में बात करते हुए प्रो. महाजन ने बताया कि संचार में भी कई जगह लैंडस्लाइड जोन में आते हैं। वहां कई बहुमंजिला इमारतें भी हैं, जो खतरे के संकेत हैं। ऐसी जगह पर सही ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से जमीन खिसकने की संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि संचार में भी आने वाले समय में जोशीमठ जैसे हालात होंगे।
20 हजार लोगों ने 1905 के भूकंप में फँसा था जान
1905 में एक विनाशकारी भूकंप कांगड़ा क्षेत्र में संपत्ति के साथ बड़ी मात्रा में जन-धन की हानि हुई थी, जिसमें सेंट जॉन चर्च भी शामिल थे। यहां कई ब्रिटिश अधिकारियों को फंसाया गया। इस विनाशकारी भूकंप में 20 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी। मैक्लोडगंज में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जे साइंस के फील्ड स्टेशन के रिकॉर्ड से पता चलता है कि 1905 के बाद से इस क्षेत्र में कई भूकंप आए थे।
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